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बीमारियों की जानकारी

piles

बवासीर (Piles)

  1. गुदा मार्ग की नसों में सूजन आने से बवासीर होती है।
  2. इसमें रक्तस्राव (खून आना) आम लक्षण है।
  3. बैठने में और शौच के समय अत्यधिक दर्द होता है।
  4. लंबे समय तक कब्ज़ रहने पर बवासीर की संभावना बढ़ जाती है।
  5. फास्ट फूड, मिर्च-मसालेदार भोजन इसका कारण बन सकते हैं।
  6. इसे ‘अरश’ भी कहा जाता है।
  7. आयुर्वेद में त्रिफला, हरड़, घी उपयोगी माने जाते हैं।
  8. गुदा के बाहर या भीतर मस्से जैसी गाँठ बन जाती है।
  9. ज़्यादा देर खड़े रहने या भारी वजन उठाने वालों में भी होती है।
  10. समय पर इलाज न होने पर ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ सकती है।

गैस्ट्रिक (Gastric / अम्लपित्त)

  1. पेट में अत्यधिक गैस बनने को गैस्ट्रिक कहते हैं।
  2. इसमें पेट फूलना, डकार आना और जलन प्रमुख लक्षण हैं।
  3. अनियमित खान-पान इसका कारण है।
  4. ज्यादा तली-भुनी और मसालेदार चीज़ें खाने से बढ़ता है।
  5. तनाव और चिंता भी इसका एक कारण है।
  6. सुबह पेट साफ़ न होने से समस्या और बढ़ जाती है।
  7. लगातार रहने पर अल्सर का रूप ले सकता है।
  8. आयुर्वेद में अजवाइन, सौंफ, जीरा लाभकारी माने जाते हैं।
  9. रात को देर से भोजन करना इससे बढ़ाता है।
  10. नियमित व्यायाम और समय पर भोजन से नियंत्रण किया जा सकता है।

गठिया (Arthritis / गाठिया रोग)

  1. जोड़ों में दर्द और सूजन को गठिया कहते हैं।
  2. यह रोग ज्यादातर बुजुर्गों में पाया जाता है।
  3. घुटनों, कूल्हों और हाथों में सबसे अधिक दर्द होता है।
  4. यूरिक एसिड बढ़ने से ‘गठिया’ और बढ़ जाता है।
  5. सुबह उठने पर जोड़ों में अकड़न महसूस होती है।
  6. ठंड के मौसम में तकलीफ़ ज्यादा होती है।
  7. हड्डियों की मजबूती कम होने पर भी यह होता है।
  8. आयुर्वेद में अश्वगंधा, हल्दी, मेथी उपयोगी मानी जाती है।
  9. ज़्यादा तेल-घी वाले भोजन से यह बढ़ता है।
  10. योग और हल्की कसरत से दर्द कम होता है।

अर्बुद (Fibroid)

  1. गर्भाशय में गाँठ बनने को अर्बुद या फाइब्रॉइड कहते हैं।
  2. यह ज्यादातर महिलाओं में पाया जाता है।
  3. अत्यधिक मासिक धर्म (पीरियड्स) इसका लक्षण है।
  4. पेट में भारीपन और दर्द होता है।
  5. कभी-कभी बाँझपन (infertility) का कारण बनता है।
  6. हार्मोन असंतुलन से यह होता है।
  7. आयुर्वेद में अशोक, लोध्र, शतावरी उपयोगी हैं।
  8. सामान्यतः यह कैंसर नहीं होता।
  9. बड़ी गाँठ होने पर ऑपरेशन करना पड़ सकता है।
  10. समय रहते जाँच और इलाज बहुत ज़रूरी है।
प्रतिश्याय (Influenza)

प्रतिश्याय (Influenza)

    1. यह एक प्रकार का वायरल बुखार है।
    2. इसमें गले में खराश और नाक बहना आम लक्षण हैं।
    3. शरीर में दर्द और थकान महसूस होती है।
    4. यह संक्रामक रोग है, एक से दूसरे में फैलता है।
    5. मौसम बदलने पर जल्दी होता है।
    6. खाँसी, छींक, सिरदर्द इसके लक्षण हैं।
    7. आराम और गरम पानी पीना लाभकारी है।
    8. आयुर्वेद में तुलसी, अदरक, शहद उपयोगी हैं।
    9. बच्चों और बुजुर्गों को जल्दी पकड़ लेता है।
    10. समय पर इलाज न हो तो यह न्यूमोनिया तक पहुँच सकता है।
skin diseases

चर्म रोग (Skin Disease)

  1. त्वचा से जुड़े रोगों को चर्म रोग कहा जाता है।
  2. इसमें खुजली, फोड़े, फुंसी, दाद शामिल हैं।
  3. त्वचा पर लाल चकत्ते बन जाते हैं।
  4. प्रदूषण और गलत खान-पान कारण बनते हैं।
  5. संक्रमण से भी फैल सकता है।
  6. कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग जल्दी प्रभावित होते हैं।
  7. आयुर्वेद में नीम, हल्दी, घृतकुमारी लाभकारी हैं।
  8. खुजली और जलन इसकी मुख्य समस्या है।
  9. दवा और परहेज़ दोनों जरूरी हैं।
  10. साफ-सफाई न रखने से यह बढ़ता है।
सूजन (Swelling)

सूजन (Swelling)

  1. शरीर के किसी हिस्से का फूल जाना सूजन कहलाता है।
  2. चोट, संक्रमण या एलर्जी से सूजन हो सकती है।
  3. यह आंतरिक रोग का संकेत भी हो सकती है।
  4. गठिया रोग में भी जोड़ों में सूजन होती है।
  5. किडनी और हृदय रोग में भी सूजन आती है।
  6. दर्द, लालिमा और गर्माहट इसके लक्षण हैं।
  7. आयुर्वेद में हल्दी, अदरक, त्रिफला उपयोगी हैं।
  8. ठंडी पट्टी या गर्म पट्टी से आराम मिलता है।
  9. लंबे समय तक सूजन रहना खतरनाक हो सकता है।
  10. कारण जानना और इलाज करवाना जरूरी है।
pcod

पीसीओडी/पीसीओएस

  1. महिलाओं की अंडाशय (Ovary) में सिस्ट बनने की समस्या है।
  2. मासिक धर्म अनियमित हो जाता है।
  3. चेहरे और शरीर पर बाल बढ़ जाते हैं।
  4. मोटापा और हार्मोन असंतुलन से यह होता है।
  5. बाँझपन का एक बड़ा कारण है।
  6. थकान और मूड स्विंग आम समस्या है।
  7. आयुर्वेद में शतावरी, अशोक, लोध्र उपयोगी हैं।
  8. जीवनशैली सुधारना सबसे ज़रूरी है।
  9. व्यायाम और संतुलित आहार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
  10. समय पर इलाज न हो तो डायबिटीज़ और हार्मोन संबंधी रोग हो सकते हैं।
मधुमेह (Diabetes)

मधुमेह (Diabetes)

  1. रक्त में शर्करा (शुगर) की मात्रा बढ़ने को मधुमेह कहते हैं।
  2. इसमें रोगी को बार-बार पेशाब लगता है।
  3. अधिक प्यास और भूख लगती है।
  4. घाव देर से भरते हैं।
  5. यह दो प्रकार का होता है – टाइप 1 और टाइप 2।
  6. अनुवांशिकता और मोटापा इसके प्रमुख कारण हैं।
  7. आयुर्वेद में करेला, मेथी, गुड़मार लाभकारी हैं।
  8. जीवनभर नियंत्रण में रखना पड़ता है।
  9. समय पर न नियंत्रित करने पर किडनी और आँखों पर असर डालता है।
  10. संतुलित आहार और नियमित व्यायाम आवश्यक है।
कमजोरी (Impotency नपुंसकता)

कमजोरी (Impotency / नपुंसकता)

  1. पुरुषों में यौन शक्ति की कमी को कहते हैं।
  2. इसमें संभोग की क्षमता प्रभावित होती है।
  3. तनाव और चिंता एक बड़ा कारण है।
  4. असंतुलित जीवनशैली भी इसका कारण है।
  5. शराब और नशा करने वालों में अधिक होती है।
  6. शारीरिक कमजोरी भी इसका कारण हो सकती है।
  7. आयुर्वेद में शिलाजीत, अश्वगंधा, सफेद मूसली लाभकारी हैं।
  8. उचित आहार और व्यायाम से सुधार होता है।
  9. समय पर इलाज न करने पर वैवाहिक जीवन प्रभावित होता है।
  10. मानसिक और शारीरिक दोनों उपचार जरूरी हैं।
Leucorrhoea

प्रदर (Leucorrhoea)

  1. महिलाओं में सफेद स्राव (Discharge) को प्रदर कहते हैं।
  2. यह सामान्य भी हो सकता है और रोग का लक्षण भी।
  3. अधिक मात्रा में आने पर कमजोरी होती है।
  4. खुजली और जलन साथ हो सकती है।
  5. गर्भाशय की समस्या का संकेत भी हो सकता है।
  6. आयुर्वेद में अशोक, लोध्र, शतावरी लाभकारी हैं।
  7. गुप्तांग की स्वच्छता बहुत जरूरी है।
  8. तनाव और हार्मोन असंतुलन से बढ़ता है।
  9. आयरन और कैल्शियम की कमी हो सकती है।
  10. समय पर इलाज न करने पर गंभीर स्त्री रोग बन सकता है।
शीतपित्त (Hives Sit Pit)

शीतपित्त (Hives / Sit Pit)

  1. त्वचा पर अचानक लाल दाने निकलना शीतपित्त कहलाता है।
  2. इसमें तेज खुजली होती है।
  3. एलर्जी इसका मुख्य कारण है।
  4. ठंडे वातावरण या कुछ खाद्य पदार्थों से यह बढ़ सकता है।
  5. दाने उभरकर कुछ देर में गायब हो जाते हैं।
  6. तनाव और चिंता भी कारण हो सकते हैं।
  7. आयुर्वेद में नीम, हल्दी, त्रिफला लाभकारी हैं।
  8. बार-बार होने पर यह क्रोनिक रूप ले सकता है।
  9. साफ-सुथरा और हल्का भोजन इसमें सहायक है।
  10. समय पर उपचार से यह जल्दी ठीक हो जाता है।

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Raju Raaz
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Manish Kumar
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